Sunday, 25 March 2018

तेरी खुशी

कहानी भी मेरी थी, लिखावट भी,
वो परछाई भी मेरी थी, सिल्हट भी,

छूटता गया वो वक़्त हाथ से मेरे,
कुछ अधूरे सपने कुछ सवाल थे मेरे,

मैं ही क्यों?

कुछ सवालात आज भी है,
कुछ अनकही आवाज आज भी है,
जनता था सब बस चाहता था कि वो कहे,
उन सवालों के जवाब तो अबतक थे अनकहे,

दुनिया खूबसूरत ह ये सुना था, देखा भी था,
पर तेरे छिपाने का ये अंदाज ओर भी हसीन हैं,
तेरी मुस्कान ने ही बयां कर दी थी सच्चाई तो,
लेकिन उसी मुस्कान के लिहे ही तो जिया करते थे,

सिर्फ एक ही चीज से नफरत की थी,
झूट से,
अब वो तेरा हुआ, तो मझे भी उसे गले लगाना पड़ा,
तू छिपाती रही, मैं मुस्कुराता रहा,
तुझे खुश देखकर, गुनगुनाता रहा,

कैसे बताता तुझे, की संभल कर रहना,
कभी मौका ही नही मिला,
तेरी परवाह करता था ना,
समझ ही नही पाया कि दुनिया से तुझे बचाऊँ या तेरी हसी को,

तेरी झूट की भी आदत डाल ली थी मैने,
तुझे एहसास भी नही था, ओर न शक़,
क्योकि वो मैं था,
तुझसे कहीं ज्यादा,
तेरी हसी , तेरी खुशी से मोहब्बत करता था।।

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